जमशेदपुर 5 मई / जमशेदपुर में चाकुलिया प्रखंड के मटियाबांन्धी गांव की घटना ने पूरे देश को अचंभित कर दिया। देश की नागरिकता में जन्म प्रमाण पत्र अनिवार्य होने के निर्देश सामने आने के बाद यह एक हफ्ते पुरानी खबर अब सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही है। इससे देश के प्रति एक बड़ी साजिश की आशंका व्यक्त की जा रही है।
इस आदिवासी और हिंदू समुदाय के गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है, लेकिन इस गांव के पते पर लगभग 4000 बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बन चुका है।

इस गांव की आबादी ज्यादातर आदिवासी, महतो और संथाल जाति से सबंधित है। जमशेदपुर के मटिबान्धी गांव के लोगों का कहना है कि आखिर किसने इतने सारे मुस्लिम बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनाया है! पिछले दिनों बंगाल और झारखंड राज्य बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को लेकर गर्म रहे हैं। अब प्रशासन की नाक के नीचे इस तरह की घटना देश के प्रति किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रही है। चाकुलिया गांव वालों को कहना है कि पूरे गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है। ऐसे में आदिवासी और हिंदू गांव के पते पर किसने मुस्लिम बच्चों के प्रमाण पत्र बनाए और क्यों बनाए!
इस गं|व की आबादी 5000 है। इसमें 4000 हजार बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा है। कहीं ये बांग्लादेशी मुसलमान तो नहीं जिन्हें गांव में घुसपैठ करानी की तैयारी हो सबसे बड़े जांच का विषय है।

गांव वाले 4 हजार फर्जी प्रमाण पत्र में सभी जहां मुस्लिम बच्चों का बता रहे हैं वही पुलिस ने प्राथमिक जांच में मुस्लिम बच्चों के 700 से अधिक प्रमाण पत्र होने की बात कही हैं। ये प्रमाण पत्र कितनी संख्या में मुस्लिमों के लिए जारी हुए हैं वह आगे होने वाली जांच पर ही पता चल पाएगा।
वहीं अपनी जांच को सक्रिय करते हुए पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में लिया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में मटियाबांधी पंचायत के सचिव सुनील महतो और ग्राम स्तरीय उद्यमी (वीएलई) और कंप्यूटर ऑपरेटर सपन महतो शामिल हैं। चाकुलिया प्रखंड विकास अधिकारी आरती मुंडा द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दोनों संदिग्धों को उनके घरों से हिरासत में लिया।4,400 से अधिक जन्म प्रमाण पत्र जारी किए हैं, जिनमें से लगभग 4,000 के जाली होने का संदेह है। 700 से अधिक जन्म प्रमाण पत्र मुसलमानों के नाम पर जारी किए गए। एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर ने आश्वासन दिया कि सभी फर्जी प्रमाण पत्र रद्द कर दिए जाएंगे और फर्जी दस्तावेजों के निर्माता और उपयोगकर्ता दोनों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
