सावन के झड़ी बादर के गोठ…….
अइसे बरसिस सावन,
सब रोंहों पोंहों होई जाय!
सरलग झड़ी बादर के मारे,
कहीं घलो नी सुहाय !!
किचिर काचर चिखला पानी,
नरवा ढोड़गा बोहाय!
तरिया डबरी ले पानी छलके,
मछरी मेचका बोमियाय!!
खेतखार के मुही बोहागे,
गजबेच बूता बढ़ाय!
इसकुल म लइका ठुठरे,
मास्टर घलो काला पढ़ाय!!
परवा छानी के बूता बनगे,
जगा जगा चुचवाय!
कोठा कुरिया एकमई होगे!
का दुख ल गोठियाय! !
सावन सलप्पा सररसरर,
सरी बदन कंपकंपाय!
डोकरी दाई गोरसी धरे,
बबा बिड़ी सिपचाय !!
संकलनकर्ता :
नेम सिंह साहू – प्रधान पाठक
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला
चिखली विकास खण्ड दुर्ग (छ0ग0)

