जम्मूकश्मीर 23 अप्रैल / पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, कश्मीर घाटी के कई जिलों और संवेदनशील इलाकों से 1500 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। इनमें ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs), पूर्व आतंकवादी, और वे व्यक्ति शामिल हैं जिन पर पहले से केस दर्ज हैं या जो खुफिया एजेंसियों की निगरानी सूची में शामिल थे।

सुरक्षा बलों का उद्देश्य इस जांच के जरिए हमलावरों को मदद देने वालों की पहचान करना है। पूरे क्षेत्र में तलाशी अभियान को तेज कर दिया गया है ताकि हमले के पीछे सक्रिय नेटवर्क और स्लीपर सेल्स का भंडाफोड़ किया जा सके। फिलहाल सभी संदिग्धों से गहन पूछताछ हो रही है ताकि यह जानकारी मिल सके कि हमलावरों को किसने शरण दी, सहायता की या हथियार पहुंचाए।वहीँ CCS की बैठक में बड़े फैसले लिए गए है –
१) सिन्धु जल समझौता ख़त्म
२) अटारी चेक पोस्ट बंद
३) पकिस्तान दूतावास बंद
४) 48 घंटे के अन्दर पाकिस्तानी राजनयिकों को भारत छोड़ने को कहा गया
५) पाकिस्तानी नागरिको का वीजा किया जायेगा रद्द

हर गतिविधि पर पैनी नजर
हमले के बाद राज्य में सुरक्षा के नए मानक तैयार किए जा रहे हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। इसके साथ ही धार्मिक समारोहों, राजनीतिक आयोजनों और सार्वजनिक जमावड़ों पर विशेष नजर रखी जा रही है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि आतंक के खिलाफ यह लड़ाई निर्णायक चरण में पहुंच चुकी है और किसी भी षड्यंत्र को सफल नहीं होने दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री के निवास पर उच्चस्तरीय बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक चल रही है, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद हैं। इस बैठक में पहलगाम हमले के बाद की रणनीति और सुरक्षा उपायों पर चर्चा हो रही है।
सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें उन्होंने निर्देश दिया कि आतंकवाद के नेटवर्क को पूरी तरह समाप्त किया जाए। साथ ही यह भी कहा गया कि निर्दोष नागरिकों की हत्या का जवाब जरूर दिया जाएगा।
TRF ने हमले की जिम्मेदारी ली
इस हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। TRF को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा संगठन माना जाता है, जो पाकिस्तान की ओर से अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने के लिए ‘स्थानीय आंदोलन’ के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह पहली बार नहीं है जब TRF पर घाटी में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने का आरोप लगा है। पहले भी यह संगठन कई बड़े हमलों में शामिल रह चुका है और इसे पाकिस्तान से प्रशिक्षण व फंडिंग मिलने के आरोपों का सामना करना पड़ा है।
