भिलाई / 21 से 27 अप्रैल 2025 तक दुर्ग जिले के जामुल नगरपालिका क्षेत्रान्तर्गत् वार्ड क्रमांक 20 सुरडुंग, में रुद्र महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है जिसमें आयोजन समिति के द्वारा अन्य आचार्यों के साथ- साथ एक नकली स्वामी अधोक्षजानन्द देव तीर्थ नामक व्यक्ति को पुरी गोवर्धनपीठाधीष्वर जगद्गुरु शंकराचार्य के रुप में प्रचारित कर आमन्त्रित किया जा रहा था जिसका धर्मसंघ, पीठपरिषद, आदित्यवाहिनी,आनंदवाहिनी के साथ ही पूरे प्रदेश में दस हज़ार से अधिक साधु,संतों,महंतों,पुजारियों सहित दो हज़ार से अधिक संगठनों ,गली मोहल्लों से लेकर जिला व प्रदेश स्तर तक लाखों सनातन धर्मावलंबियों में व्यापक आक्रोश के साथ नक़ली शंकराचार्य का विरोध किया गया है।
यह सर्वविदित है कि वर्तमान में ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धनमठ पुरीपीठ के 145 वें श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य अनन्तश्री विभूषित स्वामी श्रीनिष्चलानन्द सरस्वती जी महाराज हैं। जो कि दार्षनिक, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, गणित आदि विधाओं के विष्वविख्यात विद्वान तथा वर्तमान में सनातन धर्म के वरिष्ठतम आचार्य हैं। जो सनातन धर्म और सनातन मानबिन्दुओं की रक्षा के लिए लगातार वर्षपर्यन्त सम्पूर्ण भारतवर्ष का भ्रमण कर रहे हैं।

नकली शंकराचार्य अधोक्षजानंद का पुरे प्रदेश में व्यापक विरोध को देखते हुए गृह मंत्रालय व उच्च अधिकारियों द्वारा प्रशासन कि ओर से एसडीएम, सीएसपी व दो थाना प्रभारियों की मौजूदगी में भिलाई -3 थाना में दोनों पक्षों को साक्ष्यों के साथ उपस्थित होने कहा गया था, जिसमें जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज का पक्ष उनके शिष्यों द्वारा रखा गया, पुर्व शंकराचार्य जी की वसीयत,शासन द्वारा नियमानुसार मान्यता, हाईकोर्ट,सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट,उड़ीसा विधानसभा में पारित प्रस्ताव,पुरी कलेक्टर का पत्र इत्यादि अपने पक्ष में साक्ष्य स्वरूप प्रस्तुत किया गया साथ ही अधोक्षजानंद के विरूद्ध प्रधानमंत्री कार्यालय का पत्र ,केंद्रीय गृह मंत्री का पत्र, केंद्रीय गृह सचिव का सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र, विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह का पत्र, सचिव गृह विभाग छत्तीसगढ़ का पुलिस महानिदेशक को पत्र, पुलिस महानिदेशक का सभी जिला के पुलिस अधीक्षकों को पत्र, पुरी कलेक्टर का पत्र,गोवा,गुजरात में गिरफ़्तारी को लेकर पत्र सभी प्रस्तुत किया गया, परन्तु अधोक्षजानंद कि ओर से उपस्थित व्यक्ति द्वारा कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जा सका, उक्त सभी विषयों की जानकारी एसडीएम ने उच्चाधिकारियों को दी, जिसके पश्चात उच्च अधिकारियों ने आयोजकों को अधोक्षजानंद व आयोजन समिति पर अपराध (F.I.R.) दर्ज हो सकने की चेतावनी दी और कहा गया कि अगर वह व्यक्ति (अधोक्षजानंद) कार्यक्रम में शामिल होता है तो उसे खिलाफ प्रतिरूपण द्वारा छल एवं धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने साथ ही लॉ एण्ड ऑर्डर की स्थिति निर्मित होने पर विभिन्न धाराओं में कार्यवाही की जाएगी अतः ऐसे व्यक्ति को कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाए जिससे कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हो सके ।

जिस पर आयोजकों द्वारा पत्र जारी कर अपनी गलती को स्वीकार करते हुए, अधोक्षजानंद के नाम के आगे पूरी गोवर्धन पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य होने की सत्यता की जानकारी नहीं होने से पॉम्पलेटस में छपवाया गया यह स्वीकार किया गया ।

“जैसा की सर्वविदित है सनातन संस्कृति में बहुत से ऐसे विद्वान संत है जो समय समय पर समुचे विश्व का मार्गदर्शन करते हैं,ऐसे संतों के रहते सनातन धर्म को कमजोर कर पाना संभव नहीं है इसी कारण से ऐसे कई ऐसे धर्म द्रोही संगठन हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर षड्यंत्र रच रहे हैं, और अपने इस अपवित्र मंशा को पूरा करने में कई लोगों को “टुलकिट” की तरह उपयोग करते हैं और जाने अनजाने कई विद्वान संत भी ऐसे “टुलकिट” का हिस्सा बन जाते हैं, ऐसे षड्यंत्र में हुर्रियत जैसे कई आतंकवादी संगठन शामिल हैं तो वहीं कुछ ऐसे राजनीतिक दल भी शामिल हैं जो सनातन धर्म के धुर विरोधी हैं ऐसे षड्यंत्रों का पर्दाफाश होना अत्यंत आवश्यक है”
इस पुरे प्रकरण में विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ,गृहमंत्री विजय शर्मा ,प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव सहित विभिन्न विधायक,मंत्री एवं विशेष कर मुख्यमंत्री के सज्ञान में लाया गया था,गृहमंत्री के निर्देश पर पुलिस अधीक्षक दुर्ग जितेंद्र शुक्ला, व जामुल थाना प्रभारी कपिलदेव पांडे को जांच की जवाबदारी थी।
