
दुर्ग डायवर्सन कार्यालय को बंद करने की आर आई संघ ने की है माँग
सी. जी. प्रतिमान न्यूज :
दुर्ग /छत्तीसगढ़ राजस्व निरीक्षक संघ की ज़िला शाखा – दुर्ग, के जिलाध्यक्ष अरुण वर्मा द्वारा दुर्ग कलेक्टर को संघ की ओर से एक पत्र 12 अगस्त को प्रेषित किया गया था जो कि हाल ही में उनके सहित दुर्ग से अन्य 5 राजस्व निरीक्षकों के ट्रांसफ़र के बाद से चर्चा का विषय बना हुआ है। उक्त पत्र के माध्यम से संघ के द्वारा यह बताया गया है कि, दुर्ग जिले की डायवर्सन शाखा शासन को अच्छा ख़ासा राजस्व दिलाने वाला विभाग है।

उनके मुताबिक़ लगभग मासिक 1 करोड़ रुपये की राशि डायवर्सन शाखा से शासन को प्राप्त होती है जो की जिला पंजीयक के बाद सर्वाधिक राशि जमा करती है।

परंतु डायवर्सन शाखा के कर्मचारियों की शिकायत और वेब पोर्टल में प्रचारित खबरों के माध्यम से कुछ तथाकथित भू-माफ़ियाओं व सक्रिय दलालों के द्वारा इस विभाग की छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया है। इस पत्र के माध्यम से राज्य के अन्य जिलों की भाँति ही दुर्ग के डायवर्सन शाखा को बंद कर वैकल्पिक व्यवस्था का तमगा दे कर शाखा में पदस्थ कुछ चुनिंदा आर आई के बजाए नियमित आर आई से ही अन्य जिलों की भाँति करने की माँग की गई। उक्त पत्र ज्ञापित करने से महज़ दस दिन पूर्व ही कलेक्टर द्वारा डायवर्सन शाखा में अंगद के पाँव जैसे जमे कुछ स्वायंभू (नेता) आर आई जो की बड़े बड़े नेता मंत्रियों व अधिकारियों का वरदहस्त प्राप्त होने का दावा कर, विभाग को बदनाम कर कंबलओढ़कर मलाई चाटने का काम करते हैं उनके सहित लगभग 20 आर आई का स्थानांतरण कर दिया था।
उक्त स्थानांतरण से प्रभावित कुछ आर आई द्वारा उच्च न्यायालय की शरण ली गई, परंतु उनके अभ्यावेदन को निरस्त कर दिया तथा कुछ अन्य आर आई जो मनमानी करते हुए आदेश का पालन नहीं करने पर कलेक्टर द्वारा पूर्व गृहमंत्री के मुंह बोले नाती दामाद केवल एक स्वयंभू आर आई को छोड़कर अन्य आर आई को एकतरफा भारमुक्त कर दिया गया, जिसमें भू – अभिलेख शाखा के प्रभारी की भूमिका संदिग्ध प्रतीत होती है, जिन्होंने लंबी रक़म लेकर बड़ा खेल कर तथाकथित नेता आर आई कि जमे रहने दिया। चर्चा तो यह भी है कि 13 सितंबर को इस पत्र के ठीक एक माह बाद स्वयंभू नेता जिलाध्यक्ष को ही जिला बदर करवा दिया।
हालाकि जिलाध्यक्ष को उच्च न्यायालय से स्टे की राहत है, परंतु कलेक्टर को वास्तव में अन्य जिलों के अनुरूप दुर्ग में भी डायवर्सन की व्यवस्था में बदलाव कर नियमित आर आई के माध्यम से ही कार्य करवाना चाहिए, जिससे राजस्व भी नियमित रूप से जमा होगा और कर्मचारियों में कसावट भी आएगी। वैसे भी दुर्ग जिला कोई छत्तीसगढ़ राज्य से बाहर या बड़ा तो है नहीं।

