
सी०जी०प्रतिमान न्यूज :
छत्तीसगढ़ राज सिरजन दिवस बर अपन रचना पठोवत हँव
शीर्षक – मैं छत्तीसगढ़ी बोल हूँ।
हिरदे म तोर दया मया अऊ कान म
मंदरस घोर हूँ
छत्तीसगढ़ के दुलरवा बेटा अँव
मैं छत्तीसगढ़ी बोल हूँ
छत्तीसगढ़ के दुलरवा “”””””””””””””””
दया मया के मीठ गुरतुर भाखा
अऊ काहाँ तैं पाबे
सुवा ददरिया पंथी करमा
गीत कइसे सिरजाबे
इही तो हमर स्वाभिमान हरय
संग म जियत भर डोल हूँ
छत्तीसगढ़ के दुलरवा बेटा अँव
मैं छत्तीसगढ़ी बोल हूँ
छत्तीसगढ़ के शहरिया घर म
सबो हिन्दी झड़कावत हे
खुद तो ऐ मन बोलते हे
लईका ल तको सिखावत हे
महतारी भाखा नँदा जाही
का तब आँखी ल खोल हू
छत्तीसगढ़ के दुलरवा बेटा अँव
मैं छत्तीसगढ़ी बोल हूँ
अपन महतारी भाखा ल बोले बर
काबर तुमन लजात हव जी
अपन संस्कृति कला परंपरा ल
काबर तुमन भुलात हव जी
भाखा मिटे ले सब मिट जाही
तहाँ जोताहू बईला कस कोलहू
छत्तीसगढ़ के दुलरवा बेटा अँव
मैं छत्तीसगढ़ी बोल हूँ
भाखा हमर अभिमान हरय
छत्तीसगढ़ महतारी के जान हरय
भाखा ल बचा के राखव संगवारी
इही हमर पहिचान हरय
किरिया खावव पुरखा भाखा संग
जम्माँ मनखें ल सकेल हूँ
किरिया खावव पुरखा भाखा संग
जम्माँ मनखें ल सकेल हूँ.
रचयिता
इस्माइल आजाद जामुल भिलाई
जिला दुर्ग छत्तीसगढ़

