
सी०जी० प्रतिमान न्यूज
भिलाई। 28 नवम्बर को “महात्मा ज्योतराव फुले जी” की पुण्यतिथि पर बुद्ध भूमि कोसा नगर में स्थापित महात्मा ज्योतिबा फुले की प्रतिमा पर मोमबत्ती अगरबत्ती जलाकर माल्यार्पण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।

कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने महात्मा ज्योतिबा फुले जी के शिक्षा स्वास्थ्य और स्वच्छता तथा समाज कल्याण के कार्यों को याद किया गया और अपने जीवन में शामिल करने का प्रण लिया गया.।
समारोह में बौद्ध कल्याण समिति के अध्यक्ष नरेंद्र शेन्डे , उपाध्यक्ष रंजू खोबरागडे , महिला उपाध्यक्ष माया सुखदेवे, तथा कार्यकारिणी सदस्य प्रीतेश पाटील ने ज्योतिबा फूले जी की पुण्यतिथि पर पुष्प अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर प्रमुख रुप से महिला संघ की अध्यक्षा दानशीला ताई ,मीनाक्षी विनोद मून ,शिल्पा बंसोड़,, नेहा कोलाह्टकर ,गीतेश्वरी रामटेके और डॉक्टर उदय आदि उपस्थित थे।
महात्मा ज्योति बा फुले जी का पुरा नाम महात्मा जोतिराव गोविन्दराय फुले थे। वे एक भारतीय समाज सुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें महात्मा फुले एवं ”जोतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है। सितम्बर 1873 में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिये इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे।
वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे।इनका मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है। फुले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे। अपना सम्पूर्ण जीवन उन्होंने स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने में, स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यतीत किया.19 वी सदी में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी। महात्मा फुले महिलाओं को स्त्री-पुरुष भेदभाव से बचाना चाहते थे। उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई। स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से फुले बहुत व्याकुल और दुखी होते थे इसीलिए उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि वे समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाकर ही रहेंगे। उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की। सावित्रीबाई फुले जो भारत की प्रथम महिला अध्यापिका बनी ।

