Saturday, April 12, 2025
33.6 C
Delhi
Saturday, April 12, 2025
spot_img
Homeराजनीतिहरियाणा विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी की उपेक्षा...

हरियाणा विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी की उपेक्षा की हो, लेकिन सपा ने बड़ा दिल दिखाते हुए गठबंधन बरकरार रखने की बात कही है।

सी. जी. प्रतिमान न्यूज : लखनऊ15 अक्टूबर!/  हरियाणा विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी की उपेक्षा की हो, लेकिन सपा ने बड़ा दिल दिखाते हुए गठबंधन बरकरार रखने की बात कही है। क्योंकि सपा को आगे आने वाले चुनाव में वोट बैंक साधने के लिए कांग्रेस की जरूरत पड़ सकती है। इस कारण यह गठबंधन मजबूरी बन चुका है।


राजनीतिक जानकारों की मानें तो मध्यप्रदेश के बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने सपा को न तो एक सीट दी ना ही इनसे कोई सलाह ली। हालांकि सपा की तरफ से बार बार दावा किया जा रहा था कि उसके बगैर लिए चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ेगा। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां की 90 विधानसभा सीटों में से 37 सीटों पर जीत मिली। बहुमत के आंकड़े से कांग्रेस काफी पीछे रह गई। सपा की हरियाणा विंग की तरफ से दावा किया गया कि अगर गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा जाता तो शायद आज यहां गठबंधन की सरकार में होती। लेकिन मध्य प्रदेश के बाद हरियाणा में उपेक्षा के कारण कांग्रेस का यह दशा हुई है।


इंडिया गठबंधन के रणनीतिकार भी कहते हैं कि हरियाणा चुनाव में अगर विपक्षी दल एक साथ मिलकर लड़ते तो शायद तस्वीर कुछ अलग होती। क्योंकि 13 सीटों में अगर अंतर को देखेंगे तो वह पांच हजार से कम का है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दल एक दूसरे के पूरक हैं। जहां जो मजबूत है उसके सहारे के बगैर कांग्रेस नहीं चल सकती है। इसका सीधा उदाहरण हरियाणा चुनाव में देखने को मिला है। गठबंधन बचाने के लिए कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाना पड़ेगा। क्योंकि अगर बात यूपी की करें तो यहां लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से मुस्लिम और दलित वोट कांग्रेस को मिला है। उसके पीछे का कारण गठबंधन ही है। इस बात को सपा और कांग्रेस के लोग जानते हैं। इसी कारण हरियाणा के परिणाम आने के बाद अखिलेश यादव कह चुके हैं कि इंडिया गठबंधन बरकरार रहेगा और इसे बनाए रखने की जिम्मेदारी समाजवादी उठाएंगे।
रावत का कहना हैं कि दोनों दलों को एक दूसरे का वोट बैंक बचाने के लिए गठबंधन की जरूरत है।


सपा प्रवक्ता अशोक यादव का कहना है कि सपा जब किसी से गठबंधन करती है तो चार कदम पीछे भी हटने को तैयार रखते हैं। हरियाणा में कांग्रेस ने भले ही सीट न दी हो लेकिन सपा ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। लोकसभा चुनाव के दौरान भी गठबंधन में कई उतार चढ़ाव आए लेकिन गठबंधन में कोई आंच नहीं आई। संविधान बचाने और पीडीए के आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए गठबंधन की जरूरत दोनों दलों को है। जैसा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही कह चुके हैं यह बरकरार रहेगा। जहां तक बात रही उपचुनाव की तो सपा यहां पर सबसे बड़ा विपक्षी दल है। बड़ी जिम्मेदारी है। हमारे हिसाब से कांग्रेस को चुनाव लडऩा पड़ेगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष जी जो तय करेंगे वही फॉर्मूला अपनाया जाएगा। क्योंकि बात सीट की नहीं जीत की है।
कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी का कहना है कि कांग्रेस हमेशा जनता के जुड़े मुद्दे को ध्यान में रखकर ही गठबंधन करती है। गठबंधन बनाने के लिए सबसे बड़ी पहल कांग्रेस ने की। इसके पीछे राहुल गांधी और खडग़े जी ने कोशिश की वह रंग लाई। इसी का परिणाम है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा अयोध्या जैसी सीट हार गई। यह इंडिया गठबंधन की ताकत है। कभी कांग्रेस क्षेत्रीय दलों को निराश नहीं करती। चुनाव से पहले खुले मन से चर्चा करते हैं। सपा और कांग्रेस की आपस में तालमेल ठीक है। केवल भाजपा भ्रम फैला रही है। इंडिया गठबंधन उपचुनाव में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेगा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular