
छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों की तस्वीर अब बदलेगी।
रायपुर 17 मई / शासकीय स्कूलों में जहां आज तक बच्चों को बिना शिक्षक के पढ़ाई करनी पड़ती थी, वहां अब योग्य शिक्षकों की तैनाती होगी। सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए युक्तियुक्तकरण की बड़ी प्रक्रिया शुरू कर दी है।
छत्तीसगढ़ स्कूलों में शिक्षक पुनर्वितरण की योजना लागू – शिक्षा सुधार की दिशा में बड़ा कदम
प्रदेश में कुल 30,700 प्राथमिक शालाएं और 13,149 पूर्व माध्यमिक शालाएं संचालित हैं। इनमें शिक्षक-छात्र अनुपात भले ही राष्ट्रीय औसत से बेहतर है, लेकिन जमीनी हालात कुछ और कहानी कहते हैं।

212 प्राथमिक और 48 पूर्व माध्यमिक स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है। 6,872 प्राथमिक और 255 पूर्व माध्यमिक स्कूल केवल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार, स्कूलों में छात्रों की संख्या के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी है। कई स्कूलों में प्रधान पाठक की मंजूरी पुराने नियमों के तहत दी गई थी, लेकिन 2008 के बाद खुले स्कूलों में प्रधान पाठक का पद ही नहीं है। इससे भी कई स्कूलों में नेतृत्व की कमी देखी गई है।
इस समय प्रदेश में 77,845 सहायक शिक्षक और 55,692 शिक्षक कार्यरत हैं। परंतु जरूरत के हिसाब से 7,296 सहायक शिक्षक और 5,536 अन्य शिक्षकों की कमी है। जबकि अतिरिक्त शिक्षकों की संख्या केवल 3,608 और 1,762 ही है।

ये आंकड़े बताते हैं कि शिक्षक तो हैं, लेकिन उनका बंटवारा असमान है। कुछ स्कूलों में पांच-पांच शिक्षक मौजूद हैं, वहीं कई स्कूलों में कोई भी नहीं।
इस युक्तियुक्तकरण के तहत किसी भी स्कूल को बंद नहीं किया जाएगा। बल्कि एक ही परिसर में संचालित विभिन्न स्तर के स्कूलों को मिलाकर क्लस्टर स्कूल बनाए जाएंगे, जिससे बच्चों को बेहतर अधोसंरचना और संसाधन मिल सकें।

युक्तियुक्तकरण से मिलने वाले फायदे:
– शिक्षक विहीन स्कूलों में भी पढ़ाई होगी
– अतिरिक्त शिक्षकों का बेहतर उपयोग
– खर्च में कटौती
– बच्चों के ड्रॉपआउट में कमी
– शिक्षा में निरंतरता और ठहराव
– मजबूत अधोसंरचना की सुविधा
छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम सिर्फ शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना है, बल्कि उन हजारों बच्चों को उज्ज्वल भविष्य की तलाश में रखना है, जो अब तक शिक्षक विसियन स्कूल में पढ़ाई करने को मजबूर थे।
