
11 जून 2025 / आज कबीर जयंती के अवसर पर प्रस्तुत है उनका एक अत्यंत प्रसिद्ध दोहा:
दोहा
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥”

भावार्थ
कबीर दास जी कहते हैं कि किसी संत, सज्जन या ज्ञानी व्यक्ति की जाति नहीं पूछनी चाहिए, बल्कि उसके ज्ञान और गुणों को देखना चाहिए। जैसे तलवार की कीमत उसके धार और उपयोग से होती है, न कि उसकी म्यान (आवरण) से – वैसे ही व्यक्ति की असली पहचान उसके कर्म, विवेक और विचारों से होती है, न कि उसकी जाति या सामाजिक पहचान से।

सामाजिक संदेश
यह दोहा जातिवाद, भेदभाव, और ऊंच-नीच की मानसिकता को नकारता है। कबीर कहते हैं कि व्यक्ति के गुण, विचार और कर्म ही मूल्यांकन का आधार होने चाहिए — समाज को समता, बराबरी और भाईचारे की ओर प्रेरित करता है।


आध्यात्मिक संदेश
कबीर इस दोहे में यह भी संकेत देते हैं कि आत्मा न जाति देखती है, न शरीर। जो सत्य की खोज में है, उसके लिए आंतरिक शुद्धता और ज्ञान ही आवश्यक है, बाहरी पहचान नहीं।
सी.जी.प्रतिमान न्यूज परिवार की ओर से महान सन्त महात्मा कबीर दास जी की जयन्ती पर शत् शत् नमन और श्रद्धासुमन ।
